नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भरने से तीन स्टूडेंट्स की जान चली गई। इस हादसे से कुछ दिन पहले ही दिल्ली के ही पटेल नगर में सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे एक युवक की सड़क पर करंट लगने से मौत हो गई। करंट लगने से युवक की जान जाने का मामला तो फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। बेसमेंट में पानी भरने से हुई मौतों का मामला भी कुछ ही दिनों में ठंडे बस्ते में चला जाएगा और फिर देश के भ्रष्ट सिस्टम को किसी नए हादसे का इंतजार होगा।
कुछ साल पहले 24 मई 2019 को गुजरात के सूरत शहर में एक कोचिंग संस्थान में आग लगने से 22 बच्चों की जान चली गई थी और 19 अन्य झुलस गए थे।। इस घटना के बाद खासा हंगामा हुआ था। देश भर में कोचिंग संस्थानों के लिए नियम बनाने और उनकी नियमित जांच की बात कही गई, लेकिन नजीता ढाक के तीन पात ही रहा और एक और हादसा नहीं, हत्याकांड हो गया। इस मामले पर फिलहाल जमकर राजनीति हो रही है और अभी कुछ दिन यह जारी रहेगी। इस केस में एमसीडी के एक जूनियर इंजीनियर को बर्खास्त और एक असिस्टेंट इंजीनियर को निलंबित कर दिया गया है। नौ लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है। सवाल यह है कि क्या इस मामले में एमसीडी के कमिश्नर, दिल्ली की मेयर, क्षेत्रीय विधायक और अन्य अफसरों की कोई जिम्मेदारी नहीं है। क्या एलजी, एमसीडी के कमिश्नर, विधायक और दिल्ली की मेयर को शहर के हालात का जायजा नहीं लेना चाहिए था। उन्होंने क्यों नहीं देखा कि मॉनसून के सीजन से पहले नालियों और नालों की सफाई हुई कि नहीं। नालों के बंद रहने के कारण दिल्ली पिछले साल भी बारिश में बेहाल हुई थी और इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। कोई सबक नहीं सीखा किसी ने।
दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्री नेता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि अफसरों ने उनके बार-बार कहने के बावजूद नालों और नालियों की सफाई नहीं कराई, जिसके कारण यह घटना हुई। इस मामले में क्या दिल्ली के उपराज्यपाल की जिम्मेदारी नहीं बनती, जिनके हाथों में सही मायनों में दिल्ली की कमान है। दिल्ली सरकार तो न ही किसी अफसर को नियुक्त कर सकती है और न हटा सकती है। इस मामले में एलजी भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
बहरहाल, आरोप-प्रत्यारोपों के बावजूद यह सच है कि इस देश का पूरा सिस्टम बर्बाद हो चुका है। भ्रष्ट अफसरों और नेताओं के गठजोड़ ने आम इंसान का जीना मुश्किल कर दिया है। इस गठजोड़ को पैसे की इतनी हवस हो गई है कि इसके लिए यह लोग किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। कहीं बनते ही पुल गिर जाता है तो कहीं फ्लाईओवर या और कोई निर्माण। देश के तकरीबन हर शहर-कस्बे में नालियां और नाले बजबजा रहे हैं, सड़कों की हालत खस्ता है, फुटपाथ टूटे हुए हैं या उन पर अतिक्रमण है। तमाम सेवाओं की हालत खराब है। बावजूद इसके, इस देश के अफसर और नेता अपनी दुनिया में मस्त हैं।
जहां तक बच्चों और कोचिंग का सवाल है, कोचिंग अब देश में अरबों का धंधा बन गई है। कोटा के कोचिंग संस्थानों के बच्चे बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन इनके मानसिक स्वास्थ्य और अन्य दिक्कतों पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। दिल्ली या देश के और शहरों में फैले कोचिंग संस्थानों में बच्चे किन हालात में पढ़ रहे हैं, इसे देखने वाला कोई नहीं है। वहां इनकी सेफ्टी के क्या इंतजाम हैं, इसे देखने की फुर्सत किसी भी अफसर या सरकार को नहीं है। दिल्ली की ताजा घटना इस देश के भ्रष्ट नेताओं और अफसरों की कारगुजारी का नतीजा है और इसकी सजा इस बार भी जनता ही भुगत रही है।
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