लखनऊ (गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र) : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ की सरकार में सब कुछ ठीकठाक है या फिर अंदरखाने कुछ ऐसा पक रहा है जिसका राज्य की राजनीति पर गहरा असर पड़ने जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग और लोक निर्माण विभाग में तबादलों को लेकर विवाद पहले से चल रहा था कि जलशक्ति विभाग के राज्य मंत्री दिनेश खटिक ने अपनी अनदेखी और दलितों की उपेक्षा के आरोप के साथ भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया। इसी बीच, अतिरिक्त मुख्य सचिव और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव का कामकाज देख रहे अमित मोहन प्रसाद ने एक ऐसा विभागीय आदेश जारी कर दिया है जिससे उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और उनके बीच ठंडा पड़ता विवाद फिर से तूल पकड़ लेगा, ऐसा तय है।
विवाद के बीच, अमित मोहन प्रसाद की तरफ से इस तरह का विभागीय आदेश आने के राजनीतिक मायने भी तलाशे जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बिना किसी राजनीतिक शह के कोई भी अफसर अपने विभाग के मंत्री की नाराजगी को और बढ़ाने का काम नहीं करता। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि राज्य में इस राजनीतिक असंतोष के दौर के पीछे कहीं राजनीति का खेल तो नहीं और किसकी शह पर राज्य के अफसर बेलगाम हैं ?
क्या है आदेश ?
स्वास्थ्य विभाग के विभागीय आदेश में निर्देशित किया गया है कि, जिस अधिकारी और डॉक्टर का तबादला जहां किया गया है वो अपना पदभार संभाले और जुलाई माह का उसका वेतन भी वहीं से मिलेगा।
आपको बता दें कि, उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपने विभाग में हुए तबादलों पर घोर आपत्ति जताई थी और प्रमुख सचिव से इस मामले में जवाब-तलब किया था। उनकी नाराजगी के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने जांच कमेटी गठित करके तबादलों की जांच कराने का निर्देश दिया था। तबादलों का ये मामला अदालत भी पहुंच गया। ऐसे में प्रमुख सचिव के आदेश के बाद ये मामला फिर से गरमाना तय है। अमित मोहन प्रसाद के साथ ब्रजेश पाठक की अदावत पुरानी है और कोरोना काल में भी उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। उस वक्त पाठक राज्य के विधि मंत्री थे।
जितिन प्रसाद
लोक निर्माण विभाग संभाल रहे जितिन प्रसाद भी नाराज हैं। वे बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से मिलने दिल्ली पहुंच गए। उनके विभाग के तबादलों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जांच के आदेश हुए और कई अधिकारियों के तबादलों में रिश्वतखोरी के आरोप सही पाए जाने का दावा किया गया। विभाग के कई शीर्ष अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। चपेटे में जितिन प्रसाद के विशेष कार्याधिकारी अनिल कुमार पांडे भी आ गए। उन पर तबादला-पोस्टिंग में रिश्वत लेने का आरोप लगा। उन्हें उनके पद से हटा दिया गया और विभागीय प्रमुख होने के कारण मुख्यमंत्री ने जितिन प्रसाद को तलब किया। लेकिन जितिन प्रसाद दिल्ली दरबार में गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के सामने अपनी फरियाद लेकर पहुंच गए।
जानकारी के अनुसार, लोक निर्माण विभाग के तबादलों में अभी जांच जारी है और जल्दी ही कई और शीर्ष अधिकारियों पर गाज गिरने वाली है।
दिनेश खटिक
यूपी में जलशक्ति विभाग के राज्य मंत्री दिनेश खटिक ने दलितों की अनदेखी और उपेक्षा के अलावा भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित एक पत्र में इस्तीफे की पेशकश की है। ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। उन्होंने अपने पत्र में दावा किया है कि उन्हें 100 दिनों से कोई काम नहीं दिया गया है। विभागीय तबादलों में अनियमितता हुई है। मैं इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं, क्योंकि मैं आहत हूं। पत्र में खटिक ने लिखा कि, मुझे कोई महत्व नहीं दिया गया, क्योंकि मैं एक दलित हूं। मेरे पास एक मंत्री के रूप में कोई अधिकार नहीं है।….. मुझे किसी बैठक के लिए नहीं बुलाया गया और न ही अपने मंत्रालय के बारे में कुछ भी बताया गया। ये दलित समुदाय का अपमान है।
खटिक ने अपने पत्र में लिखा कि, प्रधानमंत्री की योजना नमामि गंगे एवं हर घर जल योजना के नियमों की अनदेखी हो रही है। मेरे विभाग में स्थानांतरण के नाम पर गलत तरीके से धन वसूली की गई है। संज्ञान में आने पर जब मैंने विभागाध्यक्ष से इसकी सूचना मांगी तो अभी तक उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
अपने पत्र में खटीक ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह के अथक परिश्रम एवं कुशल नेतृत्व में दलितों और पिछड़ों को साथ लेकर चलने के कारण आज बीजेपी सरकार का गठन हुआ है।
आपको बता दें कि, दिनेश खटिक मेरठ की हस्तिनापुर सीट से दो बार के बीजेपी विधायक हैं।
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