नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र):
कोरोना महामारी का असर जहां आम जनजीवन पर भारी पड़ रहा है, वहीं सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भी पड़ रहा है। आंकड़ों की मानें तो साल 2019- 2020 के रबी सीजम में फसल बीमा के कुल दावों का महज 20 फीसदी ही भुगतान किया गया है। नरेंद्र मोदी सरकार की इस बहुप्रचारित बीमा योजना का लाभ किसान उठा सकें इसके लिए सरकार को तुरंत कदम उठाना होगा।
इस बारे में एक वेबसाइट ने सूचना के अधिकार के तहत सरकार से कुछ जानकारियां मांगी थीं जिसमें इन तथ्यों की जानकारी मिली।
जानकारी के अनुसार, फसल नष्ट होने की स्थिति में किसानों को भरपाई करने के लिए लाई गई मोदी सरकार की बेहद महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) तथा पुनर्गठित फसल आधारित मौसम बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईए) के तहत इस सीजन में कुल 3,750 करोड़ रुपए का दावा किया गया था। लेकिन दस्तावेजों में ये जानकारी सामने आई कि अगस्त माह तक किसानों को सिर्फ 775 करोड़ रुपए का भुगतान ही किया जा सका। ध्यान देने की बात ये है कि किसानों को दावा भुगतान की समयसीमा को खत्म हुए भी काफी समय बीत चुका है।
जब कोरोनो महामारी को देखते हुए मई 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने जब 20 लाख करोड़ के पहले राहत पैकेज की घोषणा की थी तो दावा किया गया था कि पिछले 2 महीनों में 6400 करोड़ रुपए के फसल बीमा दावों का भुगतान किया गया है। हालांकि उन्होंने अपने आंकड़ों में ये स्पष्ट नहीं किया कि जिस भुगतान की वो बात कर रही हैं वे रबी 2019-20 सीजन के हैं या इस योजना के तहत पिछले बकायों का भुगतान किया गया था।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से जो जानकारी मिली उसके अनुसार, केंद्र की इन दो फसल बीमा योजनाओं के तहत रबी 2019-20 सीजन में कुल 1.8 किसानों का बीमा किया गया था और कुल बीमित राशि 70,000 करोड़ रुपए थी। इस दौरान, बीमा कंपनियों ने कुल 7,764 करोड़ रुपए का बीमा वसूला जिसमें से 1,317 करोड़ रुपए यानी 17 फीसदी बीमा राशि का भुगतान किसानों ने किया। बाकी राशि को केंद्र एवं राज्य सरकारों ने करीब 50:50 फीसदी के अनुपात में अदा किया।
फसल बीमा योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार, किसी सीजन की अंतिम कटाई पूरी हो जाने के दो महीने के भीतर दावों का निपटारा कर दिया जाना चाहिए नहीं तो बीमित रासि वर 12 फीसदी का ब्याज भी देना होगा।
इस देरी की वजह के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारियों का कहना है कि, कोरोना महामारी के कारण इस बार फसल कटाई प्रयोगों (क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट या सीसीई) कराने में काफी देरी हुई है। फसलों की क्षति का आकलन करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा सीसीई कराया जाता उनका कहना था कि, कोरोना ते चलते देश में विभिन्न जगहों पर अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लगाए गए और इसके कारण सीसीई कराने में मुश्किल हो हुई और उसी से देर हुई।
पहले कोरोना नहीं था फिर भी देरी होती रही
साल 2017-18 में समय सीमा के सात महीने बीत जाने के बाद भी 2820 करोड़ रपए के बीमा दावों का भुगतान नहीं किया गया था।
साल 2018-19 में समय सीमा बीतने के तीन महीने बाद भी 5171 करोड़ रुपए के बीमा दावे का भुगतान नहीं हुआ था।
साल 2019-20 में डेडलाइन के सात महीने बाद भी 3000 करोड़ रुपए के दावे का भुगतान नही हुआ।
आंकड़े- द वायर से साभार