नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए लेखराज) : कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी अभी शांत ही हुई थी कि वहां के डीजीपी प्रवीण सूद को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। प्रवीण सूद को सीबीआई का अगला निदेशक नियुक्ति किया गया है। प्रवीण सूद के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी गई है। लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सूद की नियुक्ति के विरोध में नोट दर्ज कराया है। उनका कहना है कि प्रवीण सूद का नाम उन अधिकारियों की सूची में शामिल नहीं था जिन्हें पहले सीबीआई निदेशक पद के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था।
सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पैनल करता है। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस तीन सदस्यीय चयन समिति ने उनका नाम तय कर दिया है। प्रवीण सूद 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे जनवरी 2020 में कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक बने और उन्हें मई 2024 में रिटायर होना था लेकिन अब वे दो साल तक सीबीआई के निदेशक रहेंगे और उनकी सेवानिवृत्ति मई 2025 में होगी।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने इस बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रवीण सूद के नाम के आगे अपने विरोध का नोट भी दर्ज किया है क्योंकि वो उन अधिकारियों के पैनल में शामिल नहीं थे जिन्हें पहले सीबीआई निदेशक के पद के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। द हिंदू ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया है कि प्रवीण सूद के नाम को अंतिम समय में शामिल किया गया है। ये जानकारी भी सामने आई है कि, अधीर रंजन चौधरी ने इस बैठक में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के आयुक्त के चयन पर भी विरोध दर्ज कराया है।
द इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस बारे में अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चयन समिति ने सीबीआई निदेशक के पद के लिए तीन नाम शॉर्टलिस्ट किए थे। अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक ये प्रक्रिया बहुत सरल नहीं रही है और समिति के सदस्य और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपना विरोध दर्ज कराया है और प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की मांग की है।
अंतिम चयन के लिए जिन तीन नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया, उनमें कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक प्रवीण सूद, मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना और महानिदेशक फ़ायर सर्विस, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड्स ताज हसन शामिल हैं। सुधीर कुमार सक्सेना, 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वे मार्च 2022 में मध्य प्रदेश के डीजीपी बने थे। ताज हसन एजीएमयूटी काडर के 1987 बैच के अधिकारी हैं। वे जुलाई 2021 में डीजी फ़ायर सर्विस नियुक्त हुए थे।
कांग्रेस को सूद के नाम पर आपत्ति क्यों ?
प्रवीण कुमार सूद कर्नाटक में पिछले तीन साल से ज्यादा समय से पुलिस महानिदेशक पद पर तैनात रहे हैं। इस दौरान राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही है। विपक्षी दलों ने प्रवीण कुमार सूद पर लगातार सत्ता के साथ गलबहियां करते हुए कानून का बेजा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता डी.के. शिवनकुमार ने तो उन्हें अयोग्य करार देते हुए भारतीय जनता पार्टी की कठपुलतली बताया था। अब कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। भारतीय जनता की सरकार सत्ता से बेदखल हो चुकी है और अब वहां कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। ऐसे में निश्चित रूप से आने वाले समय में प्रवीण सूद के लिए वहां काम करना मुश्किल होता।
कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाती रही है कि उसने देश की संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए किया है। प्रवर्तन निदेशालय से लेकर चुनाव आयोग और सीबीआई सभी संस्थाओं में नियुक्तियों को लेकर विवाद होता रहा है।
आपको बता दें कि पहले भी राकेश अस्थाना को सीबीआई निदेशक नियुक्त करने को लेकर बड़ा विवाद हो चुका है। प्रवर्तन निदेशालय में निदेशक एस के मिश्रा को लगातार तीसरी बार सेवा विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाबतलब किया है। इसी तरह से एक अफसर के रिटायरमेंट के अगले दिन उनकी बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्ति पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं।
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