नई दिल्ली ( गणंतत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : यूथ रूरल ऑंट्रिप्रिनियोर फाउंडेशन, यही नाम है संजय शेरपुरिया या संजय राय की कंपनी का। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने उसे करीब एक हफ्ते पहले गिरफ्तार किया था। पूछताछ से और तस्वीरों से जो साक्ष्य सामने आ रहे हैं वे बेहद चौंकाने वाले हैं।
बीजेपी के शीर्ष नेताओं जैसे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत जैसे पॉवर सर्किल के शीर्ष नेताओं के अलावा अनुराग ठाकुर, किरन रिजिजू और गिरिराज सिंह जैसे कुछ दूसरे मंत्रियों के साथ भी उसकी तस्वीरें सामने आई हैं जिनसे ये जाहिर हो रहा कि वो किसी न किसी रूप में यहां तक अपनी पहुंच रखता था।
कई रिटायर्ड आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के साथ भी संजय़ शेरपुरिया के निकट संबंधों का पता चला है। इन अफसरों में सीबीआई के पूर्व बहुचर्चित निदेशक राकेश अस्थाना भी शामिल हैं। ये अधिकारी अधिकतर उसकी कंपनी के सलाहकार मंडल में अपनी जगह बनाए हुए हैं।
संजय शेरपुरिया यूपी के गाजीपुर का है और जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गर्वनर मनोज सिन्हा भी गाजीपुर के ही हैं। उनको 25 लाख का अनसिक्योर्ड लोन देने वाले इस शख्स का गुजरात कनेक्शन भी बहुत तगड़ा है। जांच में कुछ ऐसे तथ्य भी सामने आए हैं जिससे पता चलता है कि इसके और कुछ दिनों पहले पकड़े गए एक और फ़्रॉड किरण पटेल के बीच कई क़ॉमन फ्रेंड्स भी रहे हैं।
असली खबर यहां से
ऐसे में सवाल ये है कि जब संजय शेरपुरिय़ा की पहुंच इतनी ऊपर तक है तो कैसे यूपी एसटीएफ ने उसके गिरेबान पर हाथ डाल दिया। बस, असली खबर यहीं से शुरू होती है।
आपको बता दें कि उत्त्तर प्रदेश में एक प्रमुख औद्योगिक समूह गैलेंट के ठिकानों पर इनकम टैक्स और ईडी ने छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि करीब 350 करोड़ की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी बताया नहीं गया है। जानकारी के अनुसार, इस औद्योगिक समूह का मालिक गोरखपुर का है और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का करीबी बताया जाता है।
अब सवाल ये है कि ये तो दो अलग-अलग घटनाएं हैं इनमें आपस में क्या संबंध हैं ? जानकारों की मानें तों इसमें बहुत गहरा संबंध है। माना जा रहा है कि दिल्ली और लखनऊ के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है और ये दोनों घटनाएं वॉर और पलटवॉर का खेल हैं। संजय़ शेरपुरिया का दिल्ली के नेताओं के साथ गुजरात और मनोज सिन्हा के साथ रिश्ता जाहिर हुआ तो गैलेंट ग्रुप के मालिक का लखनऊ के सत्ता शीर्ष से। एक में राज्य की एजेंसी ने कार्रवाई की तो दूसरे में केंद्रीय एजेंसियों ने।
यही नहीं, संजय शेरपुरिया के बारे में रोज ब रोज नई जानकारियां सामानांतर मीडिया से साझा की जा रही हैं ताकि बात लोगों के बीच भी पहुंचे। हालांकि टीवी चैनलों और इक्के-दुक्के अखबारों के अलावा सभी मंचों से ये खबर गायब है। इतनी बड़ी खबर कैसे गायब है इसके निहितार्थ भी आसानी से समझे जा सकते हैं। हाल कुछ वैसा ही जैसा कि सत्यपाल मलिक के आरोपों के बाद मीडिया की ओढ़ी गई खामोशी का रहा।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश के प्रसाद बताते हैं कि, ‘इस कड़ी को समझना दिलचस्प होगा कि, यूपी एसटीएफ की इस कार्रवाई से शक की सुई किसकी-किसकी तरफ घूमी। संजय शेरपुरिय़ा की फोटो प्रधानमंत्री के साथ एक नहीं कई-कई जगहों पर बहुत निकटता के साथ देखी गई। गृहमंत्री के साथ उसकी फोटो, मोहन भागवत के साथ तस्वीर, जेपी नड्डा के साथ फोटो औरर अनुराग ठाकुर के साथ उसकी तस्वीर। ये तस्वीरें उसके इन नेताओं के साथ निकट संबंधों को दिखा रही हैं।’
प्रसाद कहते हैं कि, ‘विवाद की जड़ को देखिए, सबसे पहले निशाने पर आए मनोज सिन्हा। सभी जानते हैं कि मनोज सिन्हा 2017 में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे। सब कुछ तय था लेकिन योगी आदित्य नाथ ने बाजी मार ली। यानी योगी के सबसे मजबूत राजनीतिक प्रतिद्वंदी मनोज सिन्हा ही थे। शेरपुरिया के इस मायाजाल की परत ही मनोज सिन्हा को दिए गए कथित लोन से खुलनी शुरू हुई। यानी सबसे पहले शिकार वही बने।’
ऐसा नहीं है कि यूपी एसटीएफ ने शेरपुरिया पर हाथ डालने से पहले सोचा समझा नहीं होगा और राज्य में सत्ता शीर्ष से उस पर मुहर न लगवाई होगी। दरअसल, शेरपुरिया की कहानी में कई एंगल हैं। सत्ता कनेक्शन, पैसा, अपराध, चार सौ बीसी और सबसे बड़ा एंगल दिल्ली और लखनऊ के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी का खेल।
लखनऊ ने पहल की तो पलटवॉर भी होना ही था और शिकार बन गए गोरखपुर के गैंलेंट कंपनी के मालिक। टैक्स की चोरी तो उन्होंने की ही है। उनकी राजनीतिक निकटता भी केंद्रीय एजेंसियों को बखूबी पता थी।
राजनीतिक विश्लेषक मैथ्यू जॉर्ज के अनुसार, ‘इस पूरी जंग में दरअसल खेल कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाने का है। लेकिन, राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में तो ऐसे ही खेल होते हैं। यूपी एसटीएफ ने निश्चित रूप से एक बड़ी मछली को पकड़ा है जिसने दिल्ली दरबार से लेकर, गुजरात और जम्मू-कश्मीर तक सबको अपने चपेटे में ले लिया है। दिल्ली और लखनऊ की लड़़ाई भी अब बहुत दबी-छिपी नहीं रही। आने वाले समय में शेरपुरिया से बहुत से ऐसे राज सामने आएंगे जिनकी गूंज दिल्ली में सत्ता शीर्ष को विचलित करने के लिए काफी होगी।’
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया