नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए एजेंसियां) : जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का निधन हो गया है। गुरुवार रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 75 साल के थे।
शरद यादव के निधन की जानकारी उनकी बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने एक ट्वीट में दी। उन्होंने गुरुवार रात करीब 11 बजे अपने ट्वीट में लिखा कि, पापा, नहीं रहे। गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल की ओर से जारी बयान में बताया गया कि, शरद यादव को बेहोशी की हालत में लाया गया था और डॉक्टरों की भरसक कोशिश के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत तमाम नेताओं ने शरद यादव के निधन पर शोक जताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में उन्हें डॉक्टर लोहिया के विचारों से प्रभावित नेता बताया और लिखा कि, मैं उनकी यादों को संजो कर रखूंगा।
सिंगापुर में इलाज करा रहे लालू प्रसाद यादव ने शरद यादव के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि, बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं। आने से पहले मुलाकात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में। शरद भाई…ऐसे अलविदा नहीं कहना था।शरद यादव इन दिनों लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े थे।
अभी सिंगापुर में रात्रि में के समय शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला। बहुत बेबस महसूस कर रहा हूँ। आने से पहले मुलाक़ात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में।
शरद भाई…ऐसे अलविदा नही कहना था। भावपूर्ण श्रद्धांजलि! pic.twitter.com/t17VHO24Rg
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) January 12, 2023
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शरद यादव के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव जी का निधन दुःखद है। शरद यादव जी से मेरा बहुत गहरा संबंध था। मैं उनके निधन की खबर से स्तब्ध एवं मर्माहत हूं। वे एक प्रखर समाजवादी नेता थे। उनके निधन से सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।
मध्य प्रदेश के होशांगाबाद में जुलाई, 1947 में जन्मे शरद यादव जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के गोल्ड मेडलिस्ट थे, लेकिन उनकी इससे बड़ी पहचान ये थी कि वे लोहिया और जेपी के सामाजवादी विचारों से प्रभावित थे। जय प्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन का भारतीय राजनीति पर कितना असर होने वाला था। इसकी पहली झलक 1974 में देखने को मिली थी। जय प्रकाश नारायण ने छात्र आंदोलन के बाद जिस पहले उम्मीदवार को हलधर किसान के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़वाया वो शरद यादव थे। 27 साल के शरद यादव तब जबलपुर यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष थे और छात्र आंदोलन के चलते जेल में थे। जेल से ही उन्होंने जबलपुर का चुनाव जीत लिया।
मंडल सिफारिशों को लागू करवाने में अहम भूमिका
मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में शरद यादव की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। एक किताब में शरद यादव ने उसका जिक्र करते हुए बताया था कि, वे और वीपी सिंह दोनों ही मंडल सिफारिशों को लागू करवाने के पक्ष में थे लेकिन वीपी सिंह तुरंत सिफारिशों को लागू करने से बचना चाहते थे लेकिन शरद यादव की दबाव के कारण उन्हें सिफारिशों को फौरन लागू करना पड़ा। यहीं से शरद यादव की छवि मंडल मसीहा नेता के तौर पर बनी। इससे पहले उन्होंने बिहार में लालू प्रसाद यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाने में मदद की थी। उन्होंने ही 1990 में जब बिहार में जनता दल के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी आई तो वीपी सिंह के उम्मीदवार राम सुंदर दास को पीछे करके लालू प्रसाद यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनवाया।
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