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सुधीर चौधरी को अबूधाबी में स्पीकर पैनल से हटाना क्या वाकई उचित था ?

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नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : जी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी विवादों के एक नए फेर में पड़ गए हैं। उन्हें अबूधाबी में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के एक कार्यक्रम में बतौर स्पीकर शामिल होना था लेकिन अब उन्हें इस कार्यक्रम से हटा दिया गया है।

क्या थी आपत्ति

संयुक्त अरब अमीरात की राजकुमारी हेंद बिंत- ए- फैसल – अल कासिम ने सुधीर चौधरी को इस कार्यक्रम में शामिल करने पर एतराज जताया था। उसके बाद आयोजकों को सुधीर चौधरी को हटाने का फैसला लेना पड़ा।

राजकुमारी कासिम ने अपने एतराज में आयोजकों को एक पत्र लिखा था जिसे उन्होंने ट्विटर पर भी साझा किया था। पत्र में उन्होंने कहा था कि ये एंकर सुबह से लेकर रात तक मुसलमानों का अपमान करता है और उसे उस देश में बोलने, सम्मान करने और सम्मान समारोह की पार्टी में आमंत्रित किया जाता है जिसे वो एक तरह से अपमानित और बदनाम कर रहा है। राजकुमारी कासिम ने अपने पत्र में सुधीर चौधरी को आतंकवादी तक कह डाला।

कासिम ने सुधीर चौधरी पर फर्जी खबरें,  इस्लामोफोबिया और सांप्रदायिक नफरत फैलाने और दूसरे किस्म के आरोप लगाए। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि क्या हमें, एक गैर-पेशेवर किस्म के पत्रकार को एक मंच देना चाहिए और दर्शकों को उसमें आमंत्रित करना चाहिए। क्या ऐसे आयोजन में उन्हें आमंत्रित करना हमारी गरिमा और सम्मान को कम करने जैसा नहीं है।

राजकुमारी ने अपने पत्र में लिखा कि, सुधीर चौधरी अपने इस्लामोफोबिक शो के लिए जाने जाते हैं और भारत के 200  मिलियन मुसलमानों को निशाना बनाते हैं।  उनके कई प्राइम टाइम शो ने देश भर में मुसलमानों के खिलाफ होने वाली हिंसा में सीधे तौर पर योगदान दिया है।

राजकुमारी के इन आरोपों के बाद सुधीर चौधरी को स्पीकर वाले पैनल से बाहर कर दिया गया। राजजकुमारी कासिम ने ट्विटर पर इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) अबू धाबी के सदस्यों द्वारा लिखित पत्र को साझा किया। पत्र में स्पष्ट किया गय़ा था कि, सुधीर चौधरी अबू धाबी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के कार्यक्रम में वक्ताओं के पैनल से बाहर हो गए हैं।

कितना जायज, कितना नाजायज़

अबूधाबी हो या दुनिया के तमाम दूसरे शहर, ऐसे कार्यक्रम होते रहते हैं और उसमें भारतीय विशोषज्ञ या सेलेब्रिटीज़ बतौर वक्ता आमंत्रित किए जाते रहे हैं। सुधीर चौधरी को भी इसी क्रम में वहां आमंत्रित किया गया था। सुधीर चौधरी का जी न्यूज़ पर प्राइम टाइम शो डीएनए भारत में काफी समय चल रहा है और एक लोकप्रिय कार्यक्रम है। इसमें को दोराय नहीं कि सुधीर चौधरी के शो में बीजेपी और हिंदुत्व के प्रति एक आग्रह दिखाई देता है। वे अपने शो को एक अलग नजरिए और चश्मे से देखते हैं। सुधीर चौधरी अकेले नहीं हैं, उनके जैसे तमाम एंकर हैं जो आमतौर पर बीजेपी या हिंदुत्व के प्रवक्ता के तौर पर जिरह करते दिखाई देते हैं।

विषय ये नहीं है कि सुधीर चौधरी को किसी शो में बोलने से रोक दिया गया। ठीक है दूसरा देश है, इस्लामिक देश है। उनकी अपनी सोच और दर्शन होने के अलावा उनके अपने कानून हैं। विषय ये है कि सुधीर चौधरी को स्पीकर पैनल से बाहर करके हासिल क्या किया गया। तमाम विचारों और तर्को के बीच सुधीर चौधरी के भी अपने तर्क और विचार हैं। उसे सुना जाना चाहिए था। अगर आप सुधीर चौधरी पर मुस्लिमविरोध का ठप्पा लगा रहे हैं तो आप में उन्हें सुनने का धैर्य जरूर होना चाहिए। सुनने के बाद सुधीर चौधरी को उनकी  दलीलों के लिए कठघरे में खड़ा करने का विकल्प भी तो मौजूद था। बिना सुने सिर्फ इस आधार पर सुधीर चौधरी को स्पीकर के पैनल से बाहर करना बहुत कुछ वैसा ही काम है जो सुधीर चौधरी खुद करते हैं। विषय को जानिए, समझिए। हर पक्ष हर आयाम को टटोलिए फिर कोई राय बनाइए या फिर समाने वाले की दलीलों तो वहीं उसके ही समाने खारिज कीजिए तर्कों और विचारों से। बोलने ही मत दो, या मुंह बंद कर दो, ये वैचारिक असहिष्णुता का दूसरा नाम है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया         

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