नई दिल्ली, 23 अगस्त (गणतंत्र भारत के लिए न्यूज़ डेस्क ) : बिलकिस बानो दरिंदगी मामले में दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। 15 अगस्त को इस मामले में सजा काट रहे 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने माफी योजना के तहत रिहा कर दिया था।
वामपंथी नेता सुभाषिनी अली, लखनऊ विश्वविद्याल की सेवानिवृत प्रोफेसर और समाज कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा एवं पत्रकार रेवती लाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका में इस रिहाई का विरोध किया गया था।
इससे पहले 6000 से ज्यादा बुद्धिजीवियों और पूर्व नौकरशाहों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट से गुहार की गई थी कि वो इस मामले में दखल दे। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दाखिल की है। दोषियों की रिहाई के बाद ऐसी तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए जिसमें इन सबका मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत किए जाते देखा गया था। याचिका में कहा गया है कि दोषियों के स्वागत से इस मामले में ‘राजनीतिक एंगल’ साफ़ दिखता है।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि एक गर्भवती महिला से सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषियों को रिहाई नहीं मिलनी चाहिए। इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वो इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हैं।
आपको बता दें कि, 2002 में गुजरात में हुए दंगों में बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई। गुजरात में मामले की सुनवाई के दौरान उसे लगातार जान से मारने की धमकी मिलती रही। बाद में सुप्रीम कोर्ट के दखल से इस मामले को मुंबई के सेशंस कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया और बिलकिस को मामले की पैरवी के लिए वकील के सुविधा मुहय्या कराई गई।
मुंबई सेशंस कोर्ट के न्यायाधीश डी के साल्वी ने बिलकिस बानो के साहस की दाद देते हुए 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया