नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुहासिनी) : दिल्ली-एनसीआर का समूचा क्षेत्र प्रदूषण के भयंकर संकट के दौर से गुजर रहा है। केंद्र हो या राज्य सरकारें और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने में सबकी अपनी-अपनी दलीलें हैं। टोपी ट्रांसफर के इस खेल के बीच अब सुप्रीम कोर्ट की इंट्री हुई है। देश की सुप्रीम अदालत ने दिल्ली-एनसीआर के हाल पर सख्त नाराजगी दिखाते हुए संबंधित सरकारों को निर्देश दिया है कि दिल्ली के हालात सुधरने चाहिए, ये कैसे होगा ये आप जानें। शीर्ष अदालत 10 तारीख को मामले पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के तेवर बहुत सख्त थे। अदालत ने कहा कि ये हर साल का दस्तूर है। फौरी रिलीफ वाले कुछ कदम उठा लिए जाते हैं। मामले के समाधान के लिए कोई दूरगामी रणनीति और सोच नहीं दिखाई देती। अदालत ने कहा कि पराली से अगर प्रदूषण बढ़ रहा है तो इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। पंजाब में पराली जलने से रोकने की जिम्मेदारी संबंधित थाना क्षेत्रों के एसएचओ को सौंपी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या ये समस्या सिर्फ पराली जलाने के कारण है, क्या दूसरी वजहें नहीं हैं, सरकारें क्यों नहीं मिलकर रणनीति बनाती। एकदूसरे पर ठीकरा फोड़ने के बजाए प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर को कैसे बचाया जाए इस बारे में काम किया जाना चाहिए।
इस मामले में सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील गोपाल एस ने बताया कि इस वर्ष पराली जलाने की घटना में 40 फीसदी की कमी आई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे काम नहीं चलेगा, पराली जलाना पूरी तरह बंद करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के ऐसे हालात कायम नहीं रह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है, अगर हमने बुल्डोजर चलाना शुरू कर दिया तो रुकेंगे नहीं।
अदालत ने कहा कि, प्रदूषण नियंत्रण के लिए ऑ़ड-इवेन जैसे आपात उपायों से कोई बहुत फर्क पड़ने वाला नहीं है।
दम फुलाती दिल्ली
मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली में अगले कुछ दिनों तक प्रदूषण के स्तर में कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। राजधानी और एनसीआर के समूचे इलाके में दमघोंटू हवा के चलते स्कूलों को बंद कर दिया गया है। ग्रैप- 4 लागू होने के बाद दिल्ली में दूसरे राज्यों से दाखिल होने वाले डीजल वाहनों पर रोक लगा दी गई है। अस्पतालों में भी सांस, दमे और दिल के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक उम्मीद 9 नवंबर के आसपास है जिसमें पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली में हल्की बारिश की उम्मीद जताई गई है। अगर ऐसा हुआ तो कुछ हद तक प्रदूषण कम हो सकता है।
प्रदूषण का विश्लेषण
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। सीएसई ने अपने एक विश्लेषण में कहा है कि, इस गंभीर स्थिति के बाद दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के सभी प्रमुख स्रोतों जैसे वाहन, उद्योग, बिजली संयंत्र, अपशिष्ट जलाने और ठोस ईंधन आदि पर गंभीर कार्रवाई की जरूरत है। विश्लेषण में बताया गया है कि इस साल, नवंबर की शुरुआत में एक ही दिन के भीतर दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 का स्तर आश्चर्यजनक तरीके से 68 प्रतिशत तक बढ़ गया।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि, इन तमाम प्रदूषणों से निपटने के लिए सरकार की ओर से केवल आपातकालीन कार्रवाई ही पर्याप्त नहीं होगी बल्कि इसे खत्म करने के लिए एक नियोजित कार्यक्रम और यहां के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कार्रवाई की जरूरत है।
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