नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : साल 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया से 2030 तक टीबी के खात्मे का लक्ष्य रखा था। तब भारत ने पूरे जोश के साथ कहा कि वह 2025 तक देश से टीबी का सफाया कर देगा। भारत के इस लक्ष्य का ऐलान बाकायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। लेकिन टीबी के मौजूदा बोझ को देखते हुए लगता नहीं है कि भारत अपने लक्ष्य को हासिल कर सकेगा।
विश्व में टीबी के सबसे ज्यादा केस
हाल में ही जारी भारत की टीबी रिपोर्ट से भी इस बात की पुष्टि होती है। अब भारत विश्व में टीबी के सबसे ज्यादा केस वाला देश बन गया है। इससे पहले चीन इस मामले में पहले नंबर पर था। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में देश में टीबी के 25.55 लाख केस रिपोर्ट किए गए। यह 1960 में राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू होने के बाद सबसे ज्यादा केस थे। देश में अब भी हर साल टीबी से करीब सवा तीन लाख लोगों की जान चली जाती है। टीबी के बहुत से केस रिपोर्ट ही नहीं होते, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
सरकार ने उठाए कई कदम
टीबी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है। देश में टीबी के ऐसे केस भी बढ़ रहे हैं, जिन पर कई तरह की दवाओं का कोई असर नहीं होता। सरकार ने हाल के सालों में इस तरह के मामलों से निपटने के लिए टीबी की कुछ नई दवाओं को मंजूरी दी है। इसके साथ ही टीबी की जांच के लिए मोबाइल टेस्टिंग वैन्स भी लॉन्च की गई हैं। ये वैन्स टीबी की कितनी जांच कर रही हैं, इसका अधिकृत आंकड़ा नहीं है। सरकार ने टीबी के मरीजों को खुराक के लिए पैसे देने का प्रोग्राम भी लॉन्च किया था और हर केस की रिपोर्टिंग को अनिवार्य किया था।
ज्यादा आबादी भी टीबी फैलने की वजह
विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों के अस्वास्थ्यकर स्थितियों में रहने और अन्य कई कारणों से भारत के लिए टीबी एक समस्या बना हुआ है। बहुत ज्यादा आबादी भी इसके संक्रमण को फैलाने में मददगार बन रही है। भारतीय वैज्ञानिक टीबी से बचाव के लिए नई वैक्सीन बनाने पर भी काम कर रहे हैं। माना जाता है कि यह जल्द ही देश को मिल सकती है। इसके मिलने से लोगों को टीबी से बचाने में आसानी होगी, वरना भारत 2030 तक भी देश से टीबी का सफाया नहीं कर पाएगा।
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