नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए जे.पी. सिंह ) : क्या कभी किसी ने सोचा था कि चूड़ियों से भरे हाथ कभी हल या ट्रैक्टर का स्टीयरिंग थामेंगे? शायद ही ये परिकल्पना किसी के जेहन में आई हो कि घूंघट में सिमटा चेहरा कभी समाज में अपनी एक अलग पहचान बना पाएगा। लेकिन अब देश बदल रहा है दूसरे क्षेत्रों के साथ खेती-किसानी में भी महिलाएं अपना जलवा बिखेर रही हैं। वे किसी भी मामले में पुरूष किसानों से कम नहीं हैं। महिला किसानों को लेकर आमतौर पर यह सोचा जाता है कि वे केवल खेती में मजदूरी का ही काम करती हैं। असल में ये बात सच नहीं है। इसकी गवाही दे रही है राजस्थान में झुंझुनूं और सीकर जिले की सीमा पर एक गांव है बेरी। यूं तो ये भी सामान्य गांवों की तरह ही है, मगर झुंझुनूं-सीकर हाईवे से गांव के अंदर प्रवेश करते हैं तो रास्ते में शेखावाटी कृषि फार्म एवं उद्यान नर्सरी रिसर्च सेंटर का एक बोर्ड नजर आता है जहां जैविक तरीके से अनार के फलों से लदे बाग हैं। इन बागों की मालकिन हैं सन्तोष देव। संतोष देवी की कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अनार की खेती से ये साल भर में लगभग 25 लाख रुपए तक कमा लेती हैं। ये सफलता उन्हें आसानी से नहीं मिली है। इसके लिए उन्होंने दिन रात एक कर दिया तब जाकर कहीं वो आज इस मुकाम पर खड़ी हैं। संतोष देवी ने विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों और सिंचाई के लिए सीमित पानी होने के बावजूद भी जैविक तरीके से अनार की खेती में कमाल कर दिखाया है।
नारी शक्ति का बागवानी में हुनर
संतोष देवी का बचपन से ही खेती से नाता रहा है लेकिन वर्ष 2008 में उन्होंने खेती में ऊंचाइयों को छूने की ओर कदम बढ़ाया। संतोष देवी के पति सीकर जिलें में ही होमगार्ड की नौकरी करते थे। इससे उन्हें महीने में केवल तीन हजार रुपए ही मिल पाते थे जिससे परिवार बड़ी मुश्किल से ही चल पाता था। इसलिए उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की ठानी । इसके बाद, एक कृषि अधिकारी की सलाह पर उन्होंने अपने पास के गांव करौली में लगा एक अनार बगीचा देखा और फिर खुद अनार लगाने की शुरुआत कर दी। आज उन्होंने अपने सवा एकड़ खेत में अनार और मौसमी की बागवानी लगा रखी है। बागवानी के साथ-साथ वो साल में 25 हजार पौधों की कलम भी बेचती हैं जिससे उन्हें साल में 13 से 14 लाख की कमाई हो जाती है ।
आधुनिक तकनीक का सही इस्तेमाल
सन्तोष देवी के पास कम जमीन है, ऐसे में उन्होंने सघन बागवानी की तकनीक अपनाई हैं । सघन बागवानी के तहत उन्होंने अपने सवा एकड़ खेत में अनार की सिंदूर किस्म के 350 पौधे, मौसमी के 150 पौधे और अमरूद-नींबू भी लगा रखे है। वे बताती है सघन बागवानी में पौधों की देख रेख का खासा ख्याल रखा जाता है। पौधों को पानी ड्रिप इरिगेशन तकनीक से देती है । इसके लिए पौधो के चारों तरफ तीन फीट का घेरा बनाया जाता है। पौधों के सही विकास के लिए कच्ची फुटान पर ही कटिंग कर दी जाती है जिससे फलों के आकार में जबरदस्त वृद्धि होती है। उन्हें एक अनार के पौधे से करीब 40-50 किलो फल मिल जाते हैं। वहीं, मौसमी के पौधों से भी 30-40 किलो फल प्रति पौधा मिल जाता है।
रसायन मुक्त बागवानी
संतोष देवी बताती हैं कि वो खुद ही घर की चीजों को इस्तेमाल कर जैविक खाद तैयार करती हैं और इन जैविक खादों के प्रयोग से पौधों को सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं जिससे पौधों के बेहतर बढ़वार में मदद मिलती है। वे कहती हैं की अगर खेत में रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल किया गया तो फ़सल और हमारी सेहत दोनों पर ही बुरा असर पड़ेगा। इसीलिए कीटों से बचाव के लिए वे जैविक कीटनाशक का ही इस्तेमाल करती है जिसको बनाने के लिए वे गौमूत्र, नीम के पत्ते, निंबोली, बेल पत्र, धतूरा और लहसुन-हल्दी का इस्तेमाल करती है ।
दहेज में दिए पेड़ पौधे
किसान संतोष देवी ने प्रकृति प्रेम की एक अनूठी मिसाल पेश की हैं। संतोष देवी ने 2017 में अपनी बेटी की शादी में आने वाले प्रत्येक बाराती को दो-दो पौधे दिए और दहेज के रूप में 551 पौधे दिए। संतोष देवी ने कहा कि दहेज देने से तो कोई फायदा नहीं होगा लेकिन दहेज में पौधे देंगे तो पर्यावरण भी ठीक रहेगा व प्रदेश की धरती भी हरी-भरी रहेगी। वे कहती हैं कि पेड़ है तो कल है। संतोष देवी नए जमाने की किसान है। खेती में पारम्परिक तरीकों के साथ-साथ हाईटेक तरीके भी अपना रही हैं। उन्होंने शेखावाटी कृषि फार्म के नाम पर वेबसाइट तक बनवा रखी है जिसमें अनार की खेती से जुड़ी तमाम जानकारी वे शेयर करती है।