नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र):
देश के टॉप शहद ब्रांडों में से अधिकतर जर्मंन लैब में हुए गुणवत्ता परीक्षण के टेस्ट में फेल हो गए हैं। कुल 22 ब्रांडों में से सिर्फ 5 ब्रांड यानी 23 फीसदी ब्रांड ही मानक टेस्ट में पास हो पाए हैं। मानक परीक्षण में फेल होने वाले ब्रांडों में पतंजलि, डाबर, झंडू, हिमालया, हितकारी और वैद्यनाथ जैसे शीर्ष ब्रांड शामिल हैं। मानक परीक्षण पास करने वाले ब्रांडों में सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर शामिल हैं।
लैब और जांच दोनों की साख है
शहद में मिलावट की जांच सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ ने करवाई थी। इस जांच का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इन ब्रांडों के शहद में मिलावट का स्तर जांचने में भारतीय लैब्स नाकाम रही थीं। सीएसई की डायरेक्टर सुनीता नारायण ने बताया कि न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी नाम के एडवांस्ड लैब टेस्ट को जर्मनी में कराया गया है। सीएसई के मुताबिक, मधुमक्खियों से मिलने वाले शहद को चावल, मक्का, चुकंदर और गन्ने से बनने वाले शुगर सिरप के साथ मिलाकर उसे शुद्ध शहद के नाम पर बेचा जा रहा है। ये सस्ता शुगर सिरप चीन से आयात किया जाता है। किसी भी शहद को शुद्ध शहद तभी कहा जा सकता है जब वो इसके गुणवत्ता के परीक्षण के लिए निर्धारित 18 परीक्षणों को पास कर सके।
शीर्ष ब्रांडों ने जांच को खारिज किया
जांच के नतीजों को लेकर शीर्ष ब्रांडों ने सवाल उठाए हैं। कई ब्रांडों ने मिलावट के दावों को खारिज कर दिया है। पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने इसे देश की शहद इंडस्ट्री की छवि’ खराब करने की कोशिश बताया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि, सीएसई की रिपोर्ट जर्मन तकनीक को बढ़ावा देने की एक चाल लगती है।
डाबर के प्रवक्ता ने कहा कि ये ब्रांड का नाम खराब करने की कोशिश है। डाबर के प्रवक्ता ने एक वेबसाइट से बातचीत में स्पष्ट किय़ा कि उनका शहद 100 प्रतिशत शुद्ध है और ये पूर्ण रूप से स्वदेशी भी है। इसमें कोई शुगर या मिलावट नहीं की जाती। प्रवक्ता ने कहा कि शहद या सिरप चीन से आयात नहीं किया जाता और इसे पूरी तरह भारतीय मधुमक्खी पालकों से ही लिया जाता है। डाबर ने जांच रिपोर्ट को दुर्भावना से प्रेरित और ब्रांड की छवि खराब करने की कोशिश बताया।
झंडू ब्रांड के तहत शहद बेचने वाली इमामी ने कहा कि उसका शहद सभी गुणवत्ता नियमों का पालन करता है। इमामी ने कहा, एक जिम्मेदार संगठन होने के नाते हम भारत सरकार और भारतीय खाद्य संरक्षा प्राधिकरण यानी एफएफएसएआई से निर्धारित प्रोटोकॉल और नियमों का पालन करते हैं।
फोटो सौजन्य -सोशल मीडिया