गाजियाबाद, (गणतंत्र भारत के लिए विज्ञप्ति) : यू एन आई सहकारी आवास समिति 1404 की मौजूदा प्रबंधन समिति की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम लता शर्मा को भ्रष्टाचार एवं वर्ष 2017 से 2023 तक समिति के वित्तीय खर्च के लेखे-जोखे का हिसाब-किताब न देने और कई वित्तीय अनियमिताओं की जांच में दोषी पाए जाने के कारण उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के अपर निबंधन विनय मिश्रा ने पद से बर्खास्त कर दिया है। वे अगले तीन वर्ष तक किसी भी पद पर बने रहने के लिए अयोग्य करार दी गई हैं।
गौरतलब है कि, गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर 11 स्थित यू एन आई सहकारी आवास समिति मूल रूप से पत्रकारों की एक आवासीय व्यवस्था है जो कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिनियम 1965 और 1968 के तहत अपने निवासियों के रहन-सहन की व्यवस्था निर्वाचित एवं चयनित सदस्यों की प्रबंधन कमेटी के माध्यम से करती है। इसकी सारी जानकारी हर वर्ष आवास एवं विकास परिषद उत्तर प्रदेश को देनी होती है। लेकिन गत 2017 से 2023 तक इस समिति का कोई भी हिसाब किताब न तो संबंधित अधिकारियों को मुहैया कराया गया और न ही निवासियों और सदस्यों को दिया गया।
यहां के निवासियों एवं समिति के सदस्य प्रदीप कश्यप, अरुण केसरी और सुरेंद्र सिंह ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारिता राज्य मंत्री जेपीएस राठौर ने जांच के आदेश दिए थे। सात महीने की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार निबंधन विनय मिश्रा ने जांच के आधार पर मौजूदा अध्यक्ष श्रीमती कुसुम लता शर्मा को उनके पद से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया।
इस आदेश के तहत अपर निबंधक विनय मिश्रा ने श्रीमती कुसुम लता शर्मा को पद का दुरुपयोग करने का भी दोषी पाया। उन्होंने कई मकानों की रजिस्ट्री अपने दस्तखत से कर दी थी जो कि उनके अधिकार में नहीं है। इसके अलावा, कई मामलों में उनका अनुचित व्यवहार भी उनकी बर्खास्तगी का कारण बना।
अपर निबंधन मिश्रा ने उत्तर प्रदेश सहकारी अधिनियम 1965 की धारा 38(२) के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए कुसुम लता शर्मा को बर्खास्त कर दिया और अपने आदेश में व्यवस्था दी की श्रीमती शर्मा आने वाले 3 वर्षों तक यू एन आई सहकारी आवास समिति के किसी भी पद पर आसीन नहीं हो सकती और न ही चुनाव लड़ सकती हैं।
आपको बता दें कि, अपर निबंधन मिश्रा ने इस संबंध में जांच अधिकारी कुमार संजय की गहन जांच के बाद दी गई आख्या एवं साक्ष्य के आधार पर ये फैसला दिया। जांच में पाया गया था कि कुसुम लता शर्मा ने समिति के पंजाब नेशनल बैंक स्थित बैंक खाते से काफी पैसा अपने चहेतो को एवं स्वयं अपने खाते में ले लिया था जो कि पूर्ण रूप से गैरकानूनी है।
जांच अधिकारी कुमार संजय ने पाया कि श्रीमती कुसुम लता शर्मा ने पिछली प्रबंधन समिति के साथ मिली भगत कर लाखों रुपए का घोटाला किया और अध्यक्ष पद पर आसीन रहते हुए पुरानी समिति के आर्थिक लेखे जोखे भी छिपा कर रखा। जांच में पाया गया कि श्रीमती शर्मा का तानाशाही पूर्ण रवैया और समिति में अमान्य एवं गैर कानूनी रूप से भी अपने चहेते कई पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई। इस संबंध में निवासियों ने उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद से कई शिकायतें की थीं।