नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : डेंगू के खिलाफ जंग में भारत को जल्द ही एक नया हथियार मिलने के आसार हैं। यह नया हथियार एक वैक्सीन या टीके के रूप में होगा। वैसे तो दुनिया में डेंगू के दो टीके बाजार में हैं, लेकिन भारत में इनमें से किसी भी टीके के उत्पादन या उसे बेचने की मंजूरी नहीं है। अब देश में ही डेंगू से निपटने के लिए एक टीके का विकास किया गया है और हाल में ही सरकार ने इसके तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी है। इस टीके का विकास इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और एक निजी कंपनी पैनेसिया बायोटेक ने मिलकर किया है। इसे DengiAll नाम दिया गया है।
भारत में कहर मचा चुका है डेंगू
हाल के सालों में देश में डेंगू का कहर कम तो हुआ है, लेकिन अब भी यह एक बड़ी चिंता का कारण है। कुछ ही साल पहले डेंगू ने भारत के कई हिस्सों में कहर मचा दिया था। वैक्सीन के ट्रायल में इस बात पर खास ध्यान रखा जाएगा कि यह डेंगू के सभी चार सीरोटाइप के लिए प्रभावी है कि नहीं। इसके चार सीरोटाइप होने के कारण वैक्सीन का विकास एक जटिल काम है। भारत में डेंगू वायरस के सभी चार सीरोटाइप संक्रमण फैला सकते हैं। भारत दुनिया के उन 30 देशों में शामिल है, जहां डेंगू के सबसे ज्यादा केस सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पिछले दो दशकों के दौरान दुनिया में डेंगू के मामले लगातार बढ़े हैं। 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू वायरस के कारण लोग बीमार पड़े। दक्षिण अफ्रीकी देशों में डेंगू एक बड़ी समस्या बना हुआ है।
लक्षणों के आधार पर इलाज
देश में फिलहाल डेंगू वायरस से बचाव की कोई वैक्सीन न होने के कारण लक्षणों के आधार पर रोगी का इलाज किया जाता है। इसके संक्रमण में ब्लीडिंग या शॉक सिंड्रोम होने पर रोगी के जीवन पर संकट भी खड़ा हो सकता है। भारत में डेंगू के करीब 75 प्रतिशत मामले लक्षणहीन होते हैं, लेकिन संक्रमित व्यक्ति को मच्छरों के काटने से वायरस और लोगों में भी फैल सकते हैं।
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