लखनऊ, 10 नवंबर (गणतंत्र भारत के लिए हरीश मिश्र ) : कुछ दिनों पहले उत्तर भारत में महसूस किए गए भूकंप के झटके क्या किसी बड़ी आपदा के आने के संकेत हैं। भूकंप का केंद्र पश्चिमी नेपाल में नेपाल था लेकिन इसने नेपाल समेत पूरे उत्तर भारत को हिला दिया। भूकंपों को लेकर आईआईटी कानपुर ने एक विस्तृत शोध किया है। शोध में जो निष्कर्ष सामने आए हैं वे उत्तर भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय हो सकते हैं।
आईआईटी के शोध में दिए गए नतीजों से स्पष्ट होता है कि, भारत के हिमालयी राज्यों, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में किसी भी वक्त बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है। हिमालयी क्षेत्रों में लगातार भूकंप के छोटे-मोटे झटकों का आना इस बात का संकेत हैं कि इस क्षेत्र में भूगर्भीय हलचल बनी हुई है और क्षेत्र की टेक्टोनिक प्लेटें अभी स्थिर नहीं हुई हैं। शोध में आशंका जताई गई है कि, इस क्षेत्र में भूकंप की तीव्रता 1505 और 1803 में आए भूकंपों जैसी या उससे भी भयावह हो सकती है। इन भूकंपों में जानमाल का काफी नुकसान हुआ था। 1505 में आए भूकंप का उल्लेख बाबरनामा और अकबरनामा जैसी किताबों में भी है।
हालिया भूकंप क्यों… और क्या हैं इसके संकेत ?
आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन मलिक ने बताया है कि, नेपाल में 2015 में 7.8 से 8.1 तीव्रता वाले भूकंप के झटके आए थे। तब आठ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 20 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। उस वक्त भूकंप का केंद्र पूर्वी नेपाल था। यही कारण है कि भारत पर इसका असर नहीं पड़ा था। हालांकि, हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर हो गई है। इसके चलते अब लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहेंगे। अभी आए भूकंप का ये भी एक बड़ा कारण है।
प्रो. मलिक ने बताया कि, इस बार नेपाल में आए भूकंप का केंद्र पश्चिमी नेपाल है, जो भारत से बिल्कुल सटा हुआ है। यही कारण है कि इस बार नेपाल के भूकंप का असर दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत तक देखने को मिला।
शोध में चिंताजनक पहलू
शोध में बताया गया है कि. भूकंप को लेकर भारत के लिए एक खास तरह की चिंताजनक स्थिति बन रही है। अगर लोग सोच रहे हैं कि भारत में नेपाल की तरह बड़े भूकंप नहीं आएंगे तो वे गलत हैं।
शोध के निष्कर्षों को इस तरह से समझा जा सकता है :
भारत के हिमालयी क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका है। इसमें खासतौर पर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बड़े भूकंप की आशंका है। भूकंप की तीव्रता 7.8 से 8.5 के बीच रह सकती है। अगर ऐसा हुआ तो इससे इन राज्यों के अलावा उत्तर भारत और विशेषकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को बहुत बड़ा खतरा हो सकता है।
भारत भूकंप की साइकिल जोन में प्रवेश कर चुका है इसलिए ये खतरा कभी भी आ सकता है और लगातार सतर्कता और निगरानी की जरूरत है। भूकंप कब आएगा इसका सही अनुमान लगा पाना तो संभव नहीं है लेकिन ये नहीं भूलना होगा कि भारत उस टाइम जोन में दाखिल हो चुका है। हिमालय क्षेत्र में समय-समय पर होने वाली भूगर्भीय हलचलें इस बात का संकेत हैं कि ऊपर से शांत दिख रहे हिमालय के नीचे काफी कुछ चल रहा है।
आईआईटी के शोध में बताया गया है कि, हिमालयी क्षेत्र के साथ-साथ उससे लगे मैदानी इलाकों में जिस तरह से पर्यावरण बिगड़ रहा है उससे इस क्षेत्र की भूगर्भीय स्थितियों में और तेजी देखी जा रही है और खतरा और ज्यादा बढ़ गया है। इस क्षेत्र में जनसंख्या का दबाव बहुत ज्यादा है इसलिए भूकंप जैसी अनहोनी की स्थिति में यहां जान-माल का बहुत ज्यादा नुकसान होने की आशंका है।
शोध रिपोर्ट के अनुसार, अगर इन भूकंपों का केंद्र उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश में कहीं रहता है दिल्ली-एनसीआर के अलावा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के इलाकों पर भी इसका काफी असर पड़ सकता है।
आपको बता दें कि, आईआईटी रुड़की की एक रिपोर्ट में पहले ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बहुमंजिली इमारतों को लेकर कई तरह के स्ट्रक्चरल बदलाव की सिफारिश की गई थी ताकि भूकंप की स्थिति में जानमाल का कम से कम नुकसान हो। इस रिपोर्ट में इस क्षेत्र में बनी तमाम बहुमंजिली इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का सुझाव भी दिया गया था।
फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया