नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए आशीष मिश्र ) : आज 25 दिसंबर है। क्रिसमस का दिन। देश भर में बड़े दिन की छुट्टी है। लेकिन उत्तर प्रदेश के तमाम सरकारी महाविद्यालयों में छात्रों का हुजूम जुटा। सरकारी आदेश था, आनन- फानन में छात्रों को जुटाने का। वजह थी लखनऊ में मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम को लाइव दिखाने की। सरकारी आदेश था तो शिक्षकों के लिए अनुपालन जरूरी था। छात्र भी जुटे भले ही नांक भौ सिकोड़ के ही सही।
लखनऊ में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इकौना स्टेडियम में हजारों छात्रों को स्मार्ट फोन और टैबलेट बांटे गए। योजना छात्रों को एक करोड़ टैबलेट और स्मार्टफोन बांटने की है। सरकार ने कल शाम आनन- फानन में आदेश जारी किया कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में लाइव दिखाया जाए और क्रिसमस की छुट्टी के बावजूद छात्रों को क़ॉलेज में कार्यक्रम को देखने के लिए बुलाया जाए। शासन का आदेश जिला शिक्षा विभाग के माध्यम से सभी क़ॉलेजों के प्रिंसिपलों तक पहुंचाया गया। जैसे तैसे छात्रों को इसकी सूचना दी गई और उनसे क़ॉलेज में उपस्थित रहने को कहा गया।
यही नही, आदेश के अनुपालन के प्रमाण स्वरूप क़ॉलेज में लाइव प्रसारण देखते छात्रों का वीडियो क्लिप भी शासन को भेजे जाने का आदेश दिया गया। शासन का कहना है कि ऐसा करने का मकसद उन छात्रों तक इस योजना को पहुंचना था जो इसका फायदा उठा सकते है। इसीलिए क्रिसमस के दिन महाविद्यालयों को खोलना पड़ा और छात्रों को बुलाना पड़ा।
सवाल ये है कि क्या सरकार जो कह रही है, वही सचाई है या बड़े दिन पर छात्रों को इस बुलावे का कोई बड़ा मकसद है।
आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश में देश के सबसे ज्य़ादा नौजवान वोटर हैं और वहां लगातार बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। बेरोजगारी का मुद्दा लगातार वहां एक महत्वपूर्ण चुनावी मसला बना हुआ है। पिछले दिनों बेरोजगारी को लेकर शिक्षकों ने लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन किया था और पुलिस की लाठियां झेली थीं। जो परीक्षाएं हुई भी उनमे भी कुछ न कुछ बाधाएं आई और मामला और खराब हो गया।
किसान आंदोलन, बेरोजगारी, महंगाई, चौपट अर्थव्यवस्था और कोरोना महामारी की मार जैसी समस्याओं के बीच अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती हैं। राज्य में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग नौजवान वोटरों का है। ये वोटर बेरोजगारी के कारण सरकार से नाराज है। सरकार चाहती है कि किसी न किसी तरह से उस बड़े वोटबैंक को बीजेपी से छिटकने न दिया जाए।
सरकार के ये कदम इसलिए और आश्चर्यजनक है जबकि राज्य में ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए रात 11 से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगाया जा रहा है। य़ानी एक तरफ ओमिक्रॉन के कारण कर्फ्यू और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को जबरिया दिखाने के लिए छुट्टी के दिन कॉलेजों को खोलना। दिन में ओमिक्रॉन कहीं नहीं, भीड़ जुटाओ मुख्यमंत्री को दिखाओ और जाड़े की रात में जब लोग रजाई में घुसे हों तो ऐसे समय में कर्फ्यू लगाओ। ये कौन सी नीति है और इससे किस तरह से ओमिक्रॉन सीमित रहेगा इसका जवाब शायद इस नीति को बनाने वाले ही दे सकते हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में चुनावों से ठीक पहले ऐसी लॉलीपॉप योजनाओं की घोषणाएं होती रही हैं और सभी सरकारें इसका फायदा उठाती रही हैं। उत्तर प्रदेश में भी चुनाव करीब है और अधिसूचना लागू होने से पहले राज्य सरकार ऐसी योजनाओं के जरिए अधिक से अधिक जनाधार तैयार करने के प्रयास में है। पूर्ववर्ती अखिलेश यादव की सरकार ने भी छात्रों को लैपटॉप और स्मार्ट फोन बांटे थे और उसका जमकर प्रचार किया था लेकिन क्या ऐसी योजनाएं वोटरो के मन को बदल पाने में सक्षम हो पाती हैं ये लाख टके का सवाल है।
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