नई दिल्ली ( गणतंत्र भारत के लिए लेखराज) : उत्तर प्रदेश सरकार को एक बार फिर देश की सर्वोच्च अदालत से झाड़ पड़ी है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के मामले में यूपी सरकार को आड़े हाथों लिय़ा। अदालत ने स्प्ष्ट किया कि वो इस मामले में य़ूपी सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना ने कहा कि ऐसा लगता है कि यूपी सरकार इस मामले में बहुत धीमी कार्रवाई कर रही है। इस मामले में अब तक 44 गवाहों में से सिर्फ 4 के बयान अब तक दर्ज हो सके हैं। अदालत ने कहा कि शेष बचे गवाहों के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से बताया गया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 44 में से चार गवाहों के बयान दर्ज कर लिए हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया था कि आपने 44 गवाहों में से सिर्फ़ चार के ही बयान क्यों दर्ज किए हैं, बाकी के क्यों नहीं? मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने राज्य सरकार की तरफ से दाखिल सीलबंद स्थिति रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में देने की कोई जरूरत नहीं थी। शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तिथि तय की है।
मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल ने अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा, अंकित दास और आठ दूसरे लोग शामिल हैं।
दो वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इस मामले की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भी शामिल किया जाए। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई शुरू की।
कोरोना को लेकर भी पड़ी थी फटकार
कोरोना संकट के पीक दौर में उत्तर प्रदेश के हालात पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। हाईकोर्ट ने तब राज्य के कुछ जिलों में अपनी तरफ से लॉकडाउन लगाने की घोषणा कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार की कार्यशैली पर बहुत तीखी टिप्पणी की थी। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी लेकिन यूपी सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि हाईकोर्ट के आदेश की मूल भावना को उसे समझना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कोरोना संकट से निपटने में योगी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि राज्य में जिस तरह से लोगों की मौत हो रही है उससे लगता है राज्य सरकार की प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह से फेल हो चुकी है। अदालत लोगों को सड़क पर मरता नहीं देख सकती। इन टिप्पणियों के साथ हाईकोर्ट ने यूपी के कुछ जिलों में लॉकडाउन लगाने का आदेश दे दिया था।
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