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इस गर्भवती युवती की जान की कीमत क्या थी ? सिर्फ 10,000…..!

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रांची, 19 सितंबर (गणतंत्र भारत के लिए राजेश कुमार ) :  झारखंड के हज़ारीबाग़ ज़िले के सिझुआ गांव में लोन रिकवरी एजेंटों ने एक गर्भवती युवती पर कार चढ़ा दी। आरोप है कि रिकवरी एजेंट लोन चुकाने की तय तारीख से पहले लोन लेने वाले के घर आ धमके और उसका ट्रैक्टर उठाकर ले जाने लगे। युवती ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने युवती पर कार चढ़ा दी और भाग गए। युवती की मौत हो गई। मामले में एक नामजद और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

घटना 15 सितंबर की है। युवती का नाम मोनिका था। युवती के पिता मिथिलेश कुमार ने बताया कि उन्होंने साल 2018 में महिंद्रा फ़ाइनेंस से लोन लेकर एक ट्रैक्टर ख़रीदा था और कुल 50 में से 44 क़िस्तों का भुगतान कर दिया था। उनका दावा है कि, बची हुई छह क़िस्त यानी 1.20 लाख रुपए देने के लिए कुछ दिन पहले वे गए थे जिसे कंपनी ने लेने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने बताया कि, कंपनी के लोगों का कहना था कि अब उन्हें 1.30 लाख रुपए देने होंगे। दस हज़ार रुपए की कमी के चलते भुगतान नहीं कर पाने की स्थिति में कंपनी के एजेंट 15 सितंबर को उनके घर पहुंचे और वहां खड़े ट्रैक्टर को लेकर जाने लगे। इसका उन्होंने और उनकी बेटी मोनिका ने विरोध किया। इसी क्रम में वसूली करने आए एजेंट ने गर्भवती मोनिका के शरीर पर कार चढ़ा दी। मिथिलेश के मुताबिक़ अभियुक्तों ने सड़क पर गिरी मोनिका के ऊपर गाड़ी पीछे ले जाकर दूसरी बार भी चढ़ा दी और उसके बाद फ़रार हो गए।

क्या था घटनाक्रम ?

घटना के बारे में जानकारी मिलने पर गणतंत्र भारत के संवाददाता सिझुआ गांव पहंचे।  उनकी मुलाकात मिथिलेश से हुई। मिथिलेश ने बताया कि, कंपनी के लोगों ने हमसे 10 हजार रुपए ज्यादा मांगे तो मै लौट आया। मेरे पास और पैसे थे नहीं। लेकिन उसके बाद फिर कंपनी के लोगों ने परेशान करना शुरू कर दिया। बीते 14 सितंबर को रौशन सिंह नाम का एजेंट उनके घर आया। तय हुआ कि परिवार 22 सितंबर को पैसा जमा करा देगा। लेकिन रौशन सिंह तय तारीख़ से पहले, अपने लोगों के साथ 15 सितंबर को ही उनके घर आ गय़ा। वो अपने लोगों के साथ मिलकर मेरा ट्रैक्टर ले जाने लगा। उस वक़्त मैं खेत में काम कर रहा थ। मेरी बेटी मोनिका घर पर थी। उसने देखा तो वो उन लोगों से विनती करने लगी।  लेकिन वे माने नहीं और ट्रैक्टर लेकर जाने लगे। इसके बाद मोनिका मेरे पास आई और एजेंट द्वारा ट्रैक्टर ले जाने की बात बताई। मैंने मोनिका को बाइक पर बैठाया और तत्काल उन एजेंटों का पीछा किया।

मिथिलेश बताते हैं कि, बीच रास्ते में जब वे मिले तो मैंने रोककर कर उनसे बात करने की कोशिश की। लेकिन वे लोग चिल्लाने लगे। कार में बैठे उन लोगों ने कहा कि, रस्ते से हट जाओ, नहीं तो गाड़ी चढ़ा देंगे। मेरी बेटी उनका रास्ता रोककर खड़ी थी। उन लोगों ने उसके ऊपर कार चढ़ा दी। आनन-फ़ानन में बेटी को लेकर मैं हज़ारी बाग़ सदर अस्पताल गया। वहां डॉक्टरों ने रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (रिम्स) रेफ़र कर दिया।। रिम्स पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

क्या कहना है कंपनी का ?

कंपनी के मालिक आनंद महिंद्रा ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा है कि, मामले की जांच कराई जाएगी। दुख की इस घड़ी में हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं। महिंद्रा राइज़ कंपनी के एमडी और सीईओ डॉ अनीश शाह ने भी ट्विटर पर जारी एक प्रेस वक्तव्य में घटना पर अफसोस जताया है। उन्होंने लिखा है कि, हम इस घटना के सभी पहलुओं की जांच करेंगे। इसके अलावा थर्ड पार्टी कलेक्शन एजेंसियों के इस्तेमाल की प्रक्रिया के बारे में फिर से विचार करेंगे। इस घटना की जांच के संबंध में हम स्थानीय प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करेंग। दुःख की इस घड़ी में हम पीड़ित परिवार के साथ हैं।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन

आपको बता दें कि, ऐसे मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की एक गाइडलाइन है जिसमें स्पष्ट कहा गया कि कोई भी बैंक या गैर बैंकिग संगठन रंगदारों को भेजकर लोन वसूली नहीं करा सकते हैं। अगर लोन के बदले कर्जदार के वाहन को रिकवर करने की जरूरत है तो उसके लिए पहले नोटिस दिया जाना चाहिए।

आपको ये भी बताते चलें कि, संसद में सरकार ने खुद जानकारी दी थी कि देश में 10 हजार से ज्यादा विलफुल डिफॉल्टर हैं। यानी वे लोग जो पैसा दे सकते हैं लेकिन देते नहीं।

सवाल ये कि ऐसे कितने मामलों पर एक्शन लिया गया, उनसे जबरिया पैसों की वसूली की गई या उन्हें हवालात में डाला गया। कृषि मामलों के जानकार रामेंद्र चौधरी का कहना है कि, छोटे किसानों को बैंकों की ऐसी हरकतों को सबसे ज्यादा झेलना पड़ता है। किसान जाए तो जाए कहां, बैंक से मुंह मोड़े को साहूकार सामने खड़ा है। उसके सामने तो एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई है। लेकिन हजारीबाग में जो कुछ हुआ वो तो सोच से भी परे है। ये तो हत्या है वो भी इरादतन। यहां बैंक लोन तो कोई मसला ही नहीं। कोई कैसे किसी पर गाड़ी चढ़ा सकता है।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया   

 

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