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दिल्ली में इस हादसे से उपजे सवाल…क्या बहरों के कानों में घंटी बजी?

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नई दिल्ली (गणतंत्र भारत के लिए सुरेश उपाध्याय) : दिल्ली में हाल में ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे एक युवक की करंट लगने से मौत हो गई। यह युवक कुछ सामान लेने के लिए घर से बाहर निकला था और बारिश के कारण कॉलोनी के गेट पर करंट आने से उसकी जान चली गई। इस गेट के पास ही एक बिजली का पोल है। करंट वहीं से फैला।

यूपी के गाजीपुर का यह युवक अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था और दिल्ली में रहकर नौकरी के साथ परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इससे पहले 17 जुलाई को भी दिल्ली के भजनपुरा में एक लड़की की पानी से भरी सड़क पर बिजली के पोल से करंट फैलने से मौत हो गई थी।

बारिश में समस्या ज्यादा

देश में हर साल बारिश के मौसम में बिजली के खंभों और इनके आसपास करंट फैलने से बड़ी संख्या में लोगों और जानवरों की जान जाती है, लेकिन इसे रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती और न ही इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई होती है। इस तरह से कितनी मौतें होती हैं, इसका कोई ठोस आंकड़ा भी केंद्र या किसी राज्य सरकार के पास शायद ही हो।

भयावह हालात

देश में आजादी के 75 साल बाद भी ज्यादातर राज्यों में बिजली का नेटवर्क अंडरग्राउंड नहीं है। आप दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में चले जाइए। वहां बिजली के तारों का जो मकड़जाल दिखाई देगा, वह किसी को भी डरा सकता है। ऐसे में वहां कब कोई हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता। तकरीबन यही हाल देश के ज्यादातर रिहाय़शी इलाकों में भी है। बिजली के साथ ही केबल और इंटरनेट के तारों का जाल कभी भी किसी बड़े हादसे की वजह बन सकता है। बारिश के दिनों में हादसों का खतरा और बढ़ जाता है।

देश में हाइटेंशन तारों की चपेट में आने से भी हर साल बहुत से लोगों की जान चली जाती है। कई जगह इन तारों के नीचे लोगों ने अपने घर बना लिए हैं। कभी घरों के ऊपर बिजली के तार गिर जाते हैं तो कभी किसी चलते वाहन पर। यह सब देखते हुए भी केंद्र और राज्य सरकारें संवेदनहीन हैं। इनके अधिकारियों को यह समझ में नहीं आता कि लोगों को बिजली देने और राजस्व बटोरने के साथ ही उन्हें बिजली के खतरों से बचाना भी उनका फर्ज है। उनका फर्ज इस मामले में नीति बनाने का भी है।

बचाव और जागरूकता

बिजली मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारों को आबादी वाले इलाकों में बिजली का नेटवर्क अंडरग्राउंड करना चाहिए, ताकि करंट लगने का खतरा न हो। फिर लाइन चाहे हाइटेंशन हो या फिर लो टेंशन। जब तक ऐसा न हो, रबर या प्लास्टिक कोटेड तारों का प्रयोग करना चाहिए, ताकि करंट फैलने का खतरा कम से कम रहे। इसके साथ ही लोगों और विशेषकर बच्चों को करंट से बचने के बारे में भी जागरूक करना चाहिए, खासकर बारिश के दिनों में।

फोटो सौजन्य- सोशल मीडिया 

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